भारतीय काव्यशास्त्र – औचित्य मत
1. औचित्य विचार चर्चा ग्रंथ किस आचार्य का हैक्षेमेंद्र का
भामह
उद्भट
भोजराज
2. क्षेमेंद्र के अनुसार औचित्य के प्रधान भेद हैं
22
37
16
27
3. क्षेमेंद्र ने रस का प्राण किसे माना है
औचित्य
रीति
अलंकार
रस
4. निम्नलिखित आचार्यों को उनकी रचनाओं के साथ सुमेलित कीजिए –
( a ) क्षेमेन्द्र ( i ) काव्यालंकारसार संग्रह
( b ) भोजराज ( ii ) सरस्वतीकंठाभरण
( c ) भामह ( iii ) कविकंठाभरण
( d ) उद्भट ( iv ) काव्यालंकार
( v ) काव्य प्रकाश
इनमें से सही विकल्प बताइए –
( a ) ( b ) ( c ) (d )
(A) (iv) (iii) (ii) (i)
(B) (i) (ii) (iii) (iv)
(C) (iii) (ii) (iv) (i)
(D) (v) (iv) (iii) (ii)
5. औचित्यं रससिद्धस्य स्थिरं काव्यस्य जीवितम् किसकी उक्ति है –
कुन्तक
वामन
क्षेमेन्द्र
दण्डी
6. कविकण्ठाभरण के रचनाकार है –
(क) कुन्तक (ख) वामन (ग) दण्डी (घ) क्षेमेन्द्र
7. किसका यह कथन प्रसिद्ध है– नानौचित्यादृते किंचिद् रसभंगस्य कारणम्।
क्षेमेन्द्र
कुन्तक
आनंदवर्धन
वामन
8. रसौचित्य आदि नौ प्रकार के औचित्य की प्रत्यक्ष मीमांसा और प्रितपादन किसने ‘ध्वन्यालोक’ में किया है।
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
कुन्तक
वामन
9. ‘वक्रता’ को औचित्य का नाम किसने दी
कुन्तक
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
वामन
10. कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि। - तुलसीदास की यह पंक्ति में कौनसा औचित्य है
गुणौचित्य
वाक्यौचित्य
प्रबन्धौचित्य
पदौचित्य
वामन
8. रसौचित्य आदि नौ प्रकार के औचित्य की प्रत्यक्ष मीमांसा और प्रितपादन किसने ‘ध्वन्यालोक’ में किया है।
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
कुन्तक
वामन
9. ‘वक्रता’ को औचित्य का नाम किसने दी
कुन्तक
आनंदवर्धन
क्षेमेन्द्र
वामन
10. कंकन किंकिनि नूपुर धुनि सुनि। - तुलसीदास की यह पंक्ति में कौनसा औचित्य है
गुणौचित्य
वाक्यौचित्य
प्रबन्धौचित्य
पदौचित्य
भारतीय काव्यशास्त्र – औचित्य मत (AUCHITYA MAT)